Shree Ram Raksha Stotra lyrics, का पाठ करने से अलौकिक सुरक्षा की भावना पैदा करता है और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है, धार्मिक व्यवहार को प्रोत्साहित करता है।

Shree Ram Raksha Stotra Lyrics In Hindi

“श्री राम रक्षा स्तोत्र” का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। भगवान राम के पक्ष में लिखे गए इसके गीत एक ढाल के रूप में कार्य करते हैं, जो अनुयायियों को नकारात्मकता और कठिनाई से बचाते हैं।

अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः
श्री सीतारामचंद्रो देवता
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः
श्रीमान हनुमान कीलकम
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः

!! ध्यानम्‌: !!

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम !!

!! राम रक्षा स्तोत्रम्: !!

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितं।

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्।

रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः।

कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः।

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः।

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः।

जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः।

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्।

पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः।

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति।

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः।

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम्।

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः।

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः।

तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ।

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ।

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ।

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम।

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।

रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।

इत्येतानि जपन नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः।

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम।

श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये।

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने।

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मज ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्।

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम।

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ।

। रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः।

। राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।

Benefits of Reading Shree Ram Raksha Stotra

Reading the “Shree Ram Raksha Stotra” provides exclusive advantages. Its lyrics, written in favor of Lord Rama, act as a shield, protecting followers from negativity and hardship. The stotra’s sophisticated Sanskrit content improves linguistic and cognitive capacities. It instills a sense of supernatural protection and promotes spiritual growth, encouraging righteous behavior. Furthermore, regular chanting or recitation fosters mental clarity, emotional equilibrium, and a stronger connection to Lord Rama’s spiritual presence.

“राम रक्षा स्तोत्र” को पढ़ने की सही विधि कुछ निम्नलिखित चरणों में समाहित होती है:

  1. शुद्धता और स्थिरता: पहले, शांत और पवित्र स्थान पर बैठें और मन को शुद्ध और स्थिर करें।
  2. श्रद्धा और ध्यान: ध्यान में लेकर, चेतना को श्रीराम की ओर ध्यानित करें और समर्पित भाव से स्तोत्र की पठन करें।
  3. उच्चारण की समर्थन: स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक को स्पष्टता से और सही उच्चारण के साथ पढ़ें।
  4. समय सीमा: स्थिर और ध्यानपूर्वक समय चयन करें, जिसमें आप पूरी श्री राम रक्षा स्तोत्र को बिना किसी विघ्न के पूरा कर सकें।
  5. समापन: स्तोत्र के पठन के बाद, ध्यान और प्रार्थना में लगे रहें और इसका आनंद और महत्व महसूस करें। इन चरणों का पालन करके, आप सही तरीके से “राम रक्षा स्तोत्र” का पठन कर सकते हैं और इससे आपको मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
Shree Ram Raksha Stotra

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  1. Shri Ram Janki Baithe Hain Mere Seene Me
  2. Ram Darshan
  3. Shri Ram Stuti
  4. Kripa Milegi Shri Ram Ji Ki

To see the video click on this link – https://youtu.be/-_axSlApc98?si=Iko_EIHfzTt-lSos

श्री राम रक्षा स्तोत्र के पाठ के लाभ

“श्री राम रक्षा स्तोत्र” का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। भगवान राम के पक्ष में लिखे गए इसके गीत एक ढाल के रूप में कार्य करते हैं, जो अनुयायियों को नकारात्मकता और कठिनाई से बचाते हैं। स्तोत्र की परिष्कृत संस्कृत सामग्री भाषाई और संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार करती है। यह अलौकिक सुरक्षा की भावना पैदा करता है और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है, धार्मिक व्यवहार को प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा, नियमित जप या पाठ मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक संतुलन और भगवान राम की आध्यात्मिक उपस्थिति के साथ एक मजबूत संबंध को बढ़ावा देता है।

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