Aarti Kunj Bihari Ki lyrics in hindi
इस आरती का पाठ करने से मन शांत होता है और चित्त शुद्धि होती है। इसके अलावा, भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करने से व्यक्ति का मन उन्हें प्राप्त करने की भावना से परिपूर्ण होता है।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की :
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।
जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंज बिहारी की पढने के लाभ –
आरती “आरती कुंज बिहारी की” के पाठ से मन शांत होता है और चित्त शुद्धि होती है। इसके अलावा, भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान करने से व्यक्ति का मन उन्हें प्राप्त करने की भावना से परिपूर्ण होता है। इस आरती के पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और भक्त को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव होता है। इसके अलावा, आरती का पाठ करने से शुभ कार्यों में सफलता मिलती है और व्यक्ति को धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
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