Ramayan Chaupai in Hindi – रामायण हिंदू धर्म का प्रमुख ग्रंथ है। इसके लेखक गोस्वामी तुलसीदास जी है।

Ramayan Chaupai Lyrics In Hindi

जय श्री राम दोस्तों क्या आप भी भगवान श्री राम के भक्त है तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिये जो भगवान राम का भक्त है उसको हमेशा रामायण चौपाई Ramayan Chaupai चुनने का चौक और भगवन के प्रति श्रद्धा होती है Ramayan Chaupai आज हम आपको Ramayan Chaupai in Hindi रामायण चोपाई हिंदी में और रामायण चौपाई के लिरिक्स Ramayan chaupai Lyrics और रामायण चौपाई के भावार्थ और रामायण चौपाई के बारे में पढ़ेंगे

रामायण चौपाई (Ramayan Chaupai)

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥
होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी॥
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई॥

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता॥

श्री गुर पद नख मनि गन जोती।
सुमिरत दिब्य दृष्टि हियँ होती॥
दलन मोह तम सो सप्रकासू।
बड़े भाग उर आवइ जासू॥

मृदुल मनोहर सुंदर गाता।
सहत दुसह बन आतप बाता॥
की तुम्ह तीनि देव महँ कोऊ।
नर नारायन की तुम्ह दोऊ॥

मन क्रम बचन सो जतन बिचारेहु।
रामचंद्र कर काजु सँवारेहु॥
भानु पीठि सेइअ उर आगी।
स्वामिहि सर्ब भाव छल त्यागी॥

रामायण की चौपाई और अर्थ – Ramayan ki Chaupai Hindi

हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥

भावार्थ:- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।॥

बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
अमिअ मूरिमय चूरन चारू।
समन सकल भव रुज परिवारू॥

गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।
नयन अमिअ दृग दोष बिभंजन॥
तेहिं करि बिमल बिबेक बिलोचन।
बरनउँ राम चरित भव मोचन॥1॥

सेवक सठ नृप कृपन कुनारी।
कपटी मित्र सूल सम चारी॥
सखा सोच त्यागहु बल मोरें।
सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥

सोइ गुनग्य सोई बड़भागी।
जो रघुबीर चरन अनुरागी॥
आयसु मागि चरन सिरु नाई।
चले हरषि सुमिरत रघुराई॥

सो सुधारि हरिजन जिमि लेहीं।
दलि दुख दोष बिमल जसु देहीं॥
खलउ करहिं भल पाइ सुसंगू।
मिटइ न मलिन सुभाउ अभंगू॥

गगन चढ़इ रज पवन प्रसंगा।
कीचहिं मिलइ नीच जल संगा॥
साधु असाधु सदन सुक सारीं।
सुमिरहिं राम देहिं गनि गारीं॥

सो केवल भगतन हित लागी।
परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥
जेहि जन पर ममता अति छोहू।
जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥

Ramayan Chaupai

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This chaupai is a part of the Ramcharitmanas, an epic poem written by the 16th-century Indian poet-saint Tulsidas. The Ramcharitmanas is a retelling of the ancient Indian epic Ramayana, which narrates the life and adventures of Lord Rama, an incarnation of the Hindu deity Vishnu.

Tulsidas wrote the Ramcharitmanas in the Awadhi language, making the story accessible to the common people who did not understand Sanskrit, the language in which the original Ramayana by Valmiki was composed. The composition of the Ramcharitmanas marked a significant cultural and religious event, as it contributed to the Bhakti movement, which emphasized devotion to a personal god and the importance of loving devotion over ritualistic practices.

This particular chaupai comes from the ‘Kishkindha Kanda’ or ‘Book of Kishkindha,’ where Lord Rama is journeying in search of his wife, Sita, who has been abducted by the demon king Ravana. This segment of the Ramcharitmanas underscores the importance of devotion and the transformative power of the divine name, which Tulsidas believes can lead to enlightenment and inner peace.

रामचरितमानस की प्रसिध्द चौपाई- Ramcharitmanas ki Chaupai

आकर चारि लाख चौरासी।
जाति जीव जल थल नभ बासी॥
सीय राममय सब जग जानी।
करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥

रामकथा सुंदर कर तारी।
संसय बिहग उड़ावनिहारी॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी।
सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥

होइ अकाम जो छल तजि सेइहि।
भगति मोरि तेहि संकर देइहि॥
मम कृत सेतु जो दरसनु करिही।
सो बिनु श्रम भवसागर तरिही॥

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