Kanhaiya Teri Murat lyrics | kanha ji ke bhajan, kanhaiya ji ke bhajan
Kanhaiya Teri Murat lyrics in hindi
कन्हैया तेरी मूरत,
बड़ी प्यारी लागे,
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे,
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे।
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
सावली सलोनी,
मनु हारी लागे।
सावली सलोनी,
मनु हारी लागे,
कन्हैया तेरी सूरत,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी सूरत,
बड़ी प्यारी लागे,
प्यारी लागे,
बड़ी ही न्यारी लागे।
प्यारी लागे,
बड़ी ही न्यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे।
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
तेरे सिवा कान्हा मुझे,
कुछ नहीं भाए रे,
मेरे मन मंदिर में,
तू ही मुस्काए रे।
ओ कान्हा,
ओ कान्हा,
साज बाज दुनियाँ के,
रास नहीं आये रे,
तेरी मुरलियाँ ही,
दीवाना बनाए रे,
तान वही,
जानी पहचानी लागे,
तान वही,
जानी पहचानी लागे।
कन्हैया तेरी बंसी,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी बंसी,
बड़ी प्यारी लागे,
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे।
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
मोर पंख वाले,
तेरी बात ही,
निराली हैं,
तेरी हर बात,
मनमोहन वाली है।
ओ कान्हा,
ओ कान्हा,
ओ माखन से भी मीठा,
तेरा माखन चुराना हैं,
रसों से रसीला तेरा,
रास रचाना हैं।
गिरधारी कभी,
चक्रधारी लागे,
गिरधारी कभी,
चक्रधारी लागे,
कन्हैया तेरी लीला,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी लीला,
बड़ी प्यारी लागे,
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे।
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
माटी की ये काया तो,
तू बनाता मिटाता है।
काया के ही कोने में,
तू चुपके बैठ जाता है,
ओ कान्हा,
ओ कान्हा,
तू ही सखा,
तू ही बंधू,
तू ही विधाता हैं।
ओ कन्हैया तुझ से मेरी,
आत्मा का नाता हैं,
दुख से ये मन,
जब भारी लागे,
दुख से ये मन,
जब भारी लागे।
कन्हैया तेरी भक्ति,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी भक्ति,
बड़ी प्यारी लागे।
जन्मो की तुझ से,
कोई यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे।
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे,
सावली सलोनी,
मनु हारी लागे,
सावली सलोनी,
मनु हारी लागे।
कन्हैया तेरी सूरत,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी सूरत,
बड़ी प्यारी लागे,
कन्हैया तेरी मुरत,
बड़ी प्यारी लागे।।
“कन्हैया तेरी मूरत” भगवान कृष्ण के दिव्य रूप के प्रति एक भक्त की गहरी आराधना को दर्शाता है। “कन्हैया” शब्द स्नेहपूर्वक कृष्ण को संबोधित करता है, जबकि “मूरत” शब्द उनकी पवित्र मूर्ति या रूप का प्रतीक है। यह अभिव्यक्ति एक गहन आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती है, जहां भक्त परमात्मा के मूर्त प्रतिनिधित्व को स्वीकार करता है और उसका सम्मान करता है। यह अंतरंग भक्ति की भावना व्यक्त करता है, जो कि कन्हैया के रूप में भगवान कृष्ण की आराध्य और पोषित उपस्थिति के साथ गहरी भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुनाद पर जोर देता है। कन्हैया तेरी मूरत |
Meaning (भजन का अर्थ)
इस अभिव्यक्ति में, भक्त प्यार से भगवान कृष्ण के दिव्य रूप को स्वीकार करते हैं, उन्हें कन्हैया के रूप में संबोधित करते हैं। “मूरत” शब्द का तात्पर्य मूर्ति या दिव्य रूप से है। यह भक्त के गहरे भावनात्मक और आध्यात्मिक संबंध को दर्शाता है, कृष्ण की दिव्य उपस्थिति के प्रति गहरा प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करता है। यह वाक्यांश भक्ति भावनाओं के सार को समाहित करता है, जिसमें कन्हैया के रूप में भगवान कृष्ण के मूर्त और मनमोहक रूप पर जोर दिया गया है | कन्हैया तेरी मूरत |
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