Aisa damru bajaya bholenath ne – shiv bhajan, शिव की पूजा आपको आध्यात्मिक स्तर पर ऊपर उठाती है, ग्रह दोष के दुष्प्रभाव को दूर करती है।

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने – शिव भजन

यह भजन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, जिससे मन में शांति और भक्ति का संचार होता है। इसे गाने से व्यक्ति के मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। इसके उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे घर और मन में पवित्रता और शांति बनी रहती है।

मैं हिमाचल की बेटी
मेरा भोला बसे काशी
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
बनकर तेरी दासी

शंभु
शिव शिव शिव शिव शंभु
शिव शिव शिव शिव शंभु

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
बम-बम, बम-बम
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
बम-बम, बम-बम

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
कान्हा जी आए संग राधा भी आए
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
कान्हा जी आए संग राधा भी आए
बम-बम, बम-बम

वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

डमरू को सुनकर जी गणपति चले हैं
डमरू को सुनकर जी गणपति चले
गणपति चले संग कार्तिक चले
गणपति चले संग कार्तिक चले

महा अम्बे का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

डमरू को सुनकर जी रामा जी आए
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी रामा जी आए
रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए

मैया सिता का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने

ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले
डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले

मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

डमरू को सुनकर जी गंगा चले
गंगा चले वहाँ यमुना चले
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी गंगा चल
गंगा चले वहाँ यमुना चले

वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने

डमरू को सुनकर जी सूरज चले
सूरज चले वहाँ चंदा चले
बम-बम, बम-बम
डमरू को सुनकर जी सूरज चले
सूरज चले वहाँ चंदा चले

सारे तारों का मन भी मगन हो गया
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने पढने के लाभ-

“ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने” भजन को पढ़ने और गाने के कई लाभ हैं। यह भजन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है, जिससे मन में शांति और भक्ति का संचार होता है। इसे गाने से व्यक्ति के मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। इसके उच्चारण से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे घर और मन में पवित्रता और शांति बनी रहती है। नियमित रूप से इस भजन का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है।

ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने लिरिक्स पढ़ने के विधि-

“ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने” भजन को पढ़ने और गाने की विधि सरल और शास्त्रसम्मत है। यहाँ इस भजन को पढ़ने की विधि दी गई है:

  1. स्नान और तैयारी: सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  2. पूजा सामग्री: पूजा के लिए दीपक, धूप, पुष्प, चावल, और बेलपत्र रखें। एक शांत और पवित्र स्थान का चयन करें जहाँ आप बिना किसी व्यवधान के भजन का पाठ कर सकें।
  3. आरंभिक प्रार्थना: पूजा स्थल पर बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें। उनके सामने दीपक जलाएं और धूप दिखाएं। पुष्प और बेलपत्र अर्पित करें।
  4. भजन का पाठ: अब भगवान शिव का ध्यान करते हुए “ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने” भजन का पाठ करें। भजन के बोल इस प्रकार हैं:
    • ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
      नंदी ने आनंद पाया भोलेनाथ ने।
      … (पूर्ण भजन के लिए भजन पुस्तिका देखें)
  5. ध्यान और समर्पण: भजन का पाठ करते समय भगवान शिव के स्वरूप का ध्यान करें और अपनी भावनाओं को उनके चरणों में समर्पित करें। भजन समाप्त होने के बाद कुछ समय ध्यान करें और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस विधि से “ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने” भजन का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मन को शांति और संतोष मिलता है।

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ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने – शिव भजन

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