आरती: श्री शनिदेव – जय जय श्री शनिदेव (Shri Shani Dev Ji)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
Benefits of worshipping Shri Shani Dev
Worshipping Shri Shani Dev, the deity of justice and discipline, offers numerous benefits. Devotees believe it mitigates the adverse effects of Saturn (Shani) in one’s astrological chart, bringing relief from hardships and obstacles. It is said to promote patience, perseverance, and discipline, essential for personal and professional growth. Worshipping Shani Dev can also enhance spiritual growth by fostering humility and introspection. Additionally, it is believed to protect against evil influences and negative energies, ensuring mental peace and stability. Overall, devotion to Shani Dev is thought to bring balance, fairness, and fortitude in one’s life.
श्री शनिदेव की पूजा के लाभ
न्याय और अनुशासन के देवता श्री शनि देव की पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं। भक्तों का मानना है कि यह व्यक्ति की ज्योतिषीय कुंडली में शनि (शनि) के प्रतिकूल प्रभावों को कम करता है, जिससे कठिनाइयों और बाधाओं से राहत मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि यह धैर्य, दृढ़ता और अनुशासन को बढ़ावा देता है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए आवश्यक है। शनि देव की पूजा करने से विनम्रता और आत्मनिरीक्षण को बढ़ावा देकर आध्यात्मिक विकास भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यह माना जाता है कि यह बुरे प्रभावों और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है, जिससे मानसिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित होती है। कुल मिलाकर, शनि देव की भक्ति व्यक्ति के जीवन में संतुलन, निष्पक्षता और दृढ़ता लाने वाली मानी जाती है।
शनि देव की आरती की विधि-
शनि देव की आरती की विधि को चार बिंदुओं में निम्नलिखित रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है:
- स्नान और तैयारी: शुद्ध होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और शनि देव की मूर्ति या तस्वीर रखें। पूजा सामग्री (तेल का दीपक, धूप, काला तिल, नीला पुष्प, काला कपड़ा) तैयार करें।
- पूजन और अर्पण: शनि देव की मूर्ति या तस्वीर को काला तिल, नीला पुष्प, और काला कपड़ा अर्पित करें। तेल का दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
- आरती गायन: शनि देव की आरती गाएं। आरती के दौरान घण्टी बजाएं। उदाहरण के लिए:
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
(पूर्ण आरती के लिए आरती पुस्तिका देखें)
- प्रसाद और आशीर्वाद: आरती समाप्त होने के बाद सभी को आरती दें और प्रसाद वितरित करें। अंत में भक्तजन शनि देव से आशीर्वाद लें और प्रसाद ग्रहण करें।
To see the video click on this link – Click Here